यज्ञोंपवित
- Aryavart Regenerator
- Jul 8, 2020
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-Aryavart_Regenerator
-निशांत आर्य
शंका- यज्ञोंपवित को ले कर एक शंका उपस्थित हुई है कि यज्ञोंपवित कौनसे रंग का होना चाहिए? क्योकि श्वेतरंग का तो होता हीं है लेकिन आजकल कुछ लोगों ने पीला या केसरिया रंग का यज्ञोंपवित पहनना प्रारम्भ कर दिया है। क्या यह शास्त्र सम्मत है?
समाधान- मनुस्मृति के दूसरे अध्याय के 44वें श्लोक में महर्षि मनु ने कहा है -
कार्पासमुपवीतं स्याद्विप्रस्योर्ध्ववृतं त्रिवृत्त ।
शणसूत्रमयं राज्ञों वैश्यस्याविकसौत्रिकम् ।
अर्थात- (विप्रस्य)ब्राहण वर्ण में दीक्षित बालक का यज्ञोंपवीत(कार्पासम्) कपास का बना (राज्ञः) क्षत्रिय का (शणसूत्रमयम्) सन के सूत का बना और (वैश्यस्य आविक सौत्रिकम्) वैश्य का भेड़ की ऊन के सूत से बना (स्यात्) होना चाहिए, वह उपवीत(उर्ध्ववृतम्) दाहिनी ओर से बायीं ओर का बटा हुआ और (त्रिवृत्) तीन लड़ो से तिगुना कर के बना हुआ होना चाहिए ।।
प्रस्तुत श्लोक में यज्ञोंपवित कैसा होना चाहिए इसका स्प्ष्ट संकेत मिलता है कि कपास , सन के सूत और भेड़ के उन के सूत से बना हुआ होना चाहिए ।
अब इन सभी के द्वारा जो सूत बनता है वह श्वेत ही होता है यह भेद अवश्य है कि भिन्न-भिन्न सूत के होने से श्वेतपन में भेद हो । लेकिन होंगे श्वेत ही ।
यदि हम यज्ञोंपवित के धारण करने के मंत्र पर ध्यान दे तो वो पारस्कर गृह सूत्र २,२,११ में उपलब्ध होता है जो कि इस प्रकार है-
ओं यज्ञोंपवितं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रम् ....
यहाँ पर शुभ्रम् शब्द ध्यान देने योग्य है
शुभ्रम शब्द को ले कर यन्त्रोपारोपितकोशांशः
कल्पद्रुमः कहता है-शुभ्रम्, क्ली, (शोभते इति । शुभ दीप्तौ + “स्फायि तञ्चिवञ्चीति ।” उणा ० २ । १३ । इति रक् ।) वैसे ही अन्यत्र शुभ्रम् का अर्थ शुक्लवर्णः भी है ।
आप्टे भी कहता है कि - शुभ्र [śubhra], a. [शुभ्-रक् Uṇ.2.13] Shining, bright, radiant; बलानि राज्ञां शुभ्राणि प्रहृष्टानि चकाशिरे Rām.1.18.4.
White; पश्यति पित्तोपहतः शशिशुभ्रं शङ्खमपि पीतम्
इतने प्रमाणों से स्प्ष्ट है कि शुभ्र शब्द का अर्थ श्वेत है अतः यज्ञोंपवीत श्वेत रंग का ही पहनना शास्त्रीय है ।
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