वैदिक प्रेस को प्रतिउत्तर
- Aryavart Regenerator
- Jul 12, 2020
- 13 min read
।।ओ३म्।।
-निशांत आर्य
( दिनांक- १२/७/२०२०)
नमस्ते मित्रों, कुछ दिवस पूर्व #वैदिकप्रेस पर एक लेख राहुल आर्य जी के द्वारा लिखा गया था।उसका विषय उन्होंने रक्खा था "आर्यसमाज के इंद्रमणि" जो कि
VEDICPRESS पर JULY 8, 2020 को पब्लिक किया गया था । उस लेख में थैंक्स भारत के व्यवस्थापक राहुल आर्य जी ने स्व पक्ष को सत्यापित करने के लिए कुछ कुतर्क और असत्य के आवलम्बन से मिथ्याप्पा फैलाया है।जिस में राहुल जी ने सिर्फ हम लोगों के प्रति अपशब्दों व व्यंग्यों को लिखा है,प्रस्तुत लेख में उनके लेखों की समीक्षा सभी के समक्ष उनके ही शैली में प्रस्तुत है ।
राहुल आर्य जी लिखते है की- "कुछ दिन पूर्व से कुछ नीच कोटि के लोग मेरे प्रति दुर्भावना युक्त शब्दों का प्रयोग करके अपने को बहुत बड़ा शोधकर्ता सिद्ध करने कि बात कर रहे थे। मेरे साथियों से ऐसा धर्म की हानि का नंगा नाच देखा नहीं गया और उन कथित शोधकर्ताओं को खुली चुनौती भेज दी गयी। उन्होंने हमारा पता पूछ लिया और संपर्क भी ले लिया किन्तु कुछ समय पश्चात् पोस्ट डालकर हमसे चतुरतापूर्वक क्षमा मांग ली।"
समीक्षा- यहाँ राहुल आर्य जी रजनीश बंसल जी व उनके पक्षधरों के प्रति नीच शब्द का प्रयोग कर रहे हैं।क्या राहुल जी इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करेंगे कि इनका हमारे प्रति नीच शब्द लिखने का आधार क्या है? कैसी नीचता हम लोगों ने की है?ऐसी निराधार बात को लिखना सिद्ध करता है कि राहुल आर्य स्व पक्ष सिद्धि निमित्त असत्य भाषण का अवलम्बन कर रहे है।
दूसरी बात इन्होंने लिखा है कि दुर्भावनापूर्ण शब्दों का प्रयोग किया है, अब यह कौनसी बात हुई भला एक तो लेख तस्करी कर गए ,अब जिसके लेख कि तस्करी आपने कि है उन्होंने यदि ऐसा कहा कि राहुल ने लेख तस्करी की है तो क्या गलत कहा है? तस्करी करने वालों को तस्कर न कहें तो क्या कहें राजा हरिश्चंद्र? लेख तस्करी के अतरिक्त अन्य कुछ भी किसी ने नहीं कहा है, तो फिर इस बात में कौनसी दुर्भावना दिख गया? इन राहुल महोदय जी को कि इन्होंने ऐसा लिखा की दुर्भावनापूर्ण शब्दों का प्रयोग किया है?भला सत्य को प्रकशित करना दुर्भावना कब से होने लगा? राहुल महोदय को अवश्य ही बताना चाहिए । आगे राहुल जी ने रजनीश जी व उनके समर्थकों के प्रति लिखा है कि "चतुरतापूर्वक क्षमा याचना कि है" यह कथन भी कोरा बकवास है, क्योंकि रजनीश जी ने जो आरोप राहुल भाई पर लगाए हैं।उसके लिए न उन्होंने क्षमा याचना की है ,न उनके समर्थक आदि लोगों ने की है, न करेंगे, तो कौन से आधार पर कह रहे है कि क्षमायाचना की है? राहुल कि यह बात भी समझ से परे है । आगे कहते हैं कि हमसे पता आदि पूछ लिया - यह भी वस्तुस्थिति नहीं है क्योंकि मिलन आर्य आदि जो कि राहुल आर्य के साथी है, उन्होंने सुबह मुझे फ़ोन कर के रजनीश जी का नंबर यह कह कर मांगा कि हमें रजनीश जी से बात करनी है। ऐसा कहने पर हमने नंबर दे दिया, किन्तु नंबर लेने के पश्चात भी आप लोगों ने उस दिन फोन आदि किसी प्रकार का संपर्क उन से नहीं किया है और पता आपके लोगों ने स्वयं पोस्ट के माध्यम से बताया था ,किसी ने पूछा नहीं था।
अब आते है विवाद विषयक समीक्षा पर की क्या राहुल जी ने तस्करी की या नहीं ?
राहुल आर्य जी ने लिखा है कि-"वास्तव में, उनको पता था कि जो ब्लॉग रजनीश बंसल जी ने 2015 में डाला था उसको प्रमाणित नहीं किया जा सकता है । इसी लिए बात को दबाने में लग गये।"
समीक्षा- यह बड़ी ही विचित्रता है राहुल भाई जी कि, सर्वप्रथम कोई व्यक्ति जब आप पर यह आरोप लगा रहा है ,कि आपने लेख चोरी की है तो यह उस व्यक्ति का लेख है तभी तो उन्होंने आप पर आरोप लगाया है अन्यथा कोई आरोप लगाएगा ही क्यों?
यदि उनका लेख नहीं है तो 2015 में उनके ब्लॉग और आर्यमन्तव्य आदि साइट पर उस लेख को क्या आपने डाल दिया था? और बात किसी ने नहीं दबाया है राजीनश बंसल जी का अभी भी यही कहना है की आपने लेख तस्करी कर के ही वीडियो बनाई है ।
और क्या 'आर्यमंतव्य' हर किसी के बाप-दादाओं की बपौती है? वो कॉपीराइट साइट है। आप आर्यमंतव्य से या उसके ऑनलाइन वेद से कॉपी करके देखिये, पता लग जायेगा।
पाठकों! यहां पर इनके चमचों की एक बात पकड़ी गई! ये हमसे इस बात पर विवाद कर रहे थे कि लेख कॉपीराइट है ही नहीं।इससे साफ होता है कि दबी जुबान में ये स्वीकार रहे हैं कि,यद्यपि हमने लेख कॉपी किया है,तब भी आप हम पर कॉपीराइट नहीं लगा सकते!
"खुद अपने जाल में सय्याद आ गया!" 😂
पाठकों को यहां एक बात स्प्ष्ट कर दूँ की राहुल ने यहाँ पर सियार वृत्ति का आश्रय ले कर स्वयं को चालाक समझ कर चालाकी करने की कोशिश की है।किन्तु उनको पता ही नहीं है कि जिस से वे चालाकी करने का प्रयास कर रहे है वो तो इंद्रमणि है ,वो भी आर्य समाज के! ऐसा उन्होंने स्वयं लिखा है, पुनः उनके समक्ष ही सिया
र वृत्ति प्रदर्शित करना क्या मूर्खता नहीं है? उनकी सियार वृति क्या है? अब इसको भी स्प्ष्ट करते हैं। बात यह है कि रजनीश बंसल जी ने राहुल आर्य पर दोष लगाया है कि राहुल जी ने इनके 2015में लिखे गए लेख के आधार पर एक वीडियो बनाई है 2018 में जो पूर्णतः सत्य है।
रजनीश जी के इस बात कि पुष्टि के लिए कोई भी व्यक्ति राहुल जी की वीडियो को देखें और स्वयं से रजनी
श जी के लेख को पढ़े उनको सब सुस्पष्ट हो जाएगा । किन्तु राहुल जी ने स्व लेख में यह दावा किया है कि रजनीश जी अपने लेख की प्रमाणिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे।इसके लिए राहुल आर्य भाई जी का हेतु यह है की- रजनीश जी ने स्व लेख में जो प्रमाण प्रस्तुत किये है वह प्रमाण उस पुस्तक में नहीं है ,जिस पुस्तक का हवाला दिया गया है ।
अब पाठक गण विचार करें कि भला यदि स्व लेख में प्रमाण गलत दिया गया है ,तो यह लेखक की त्रुटि है इस से यह सिद्ध अवश्य होता है कि प्रमाण गलत दिया किन्तु इस से यह कैसे सिद्ध हुआ की रजनीश जी अपने लेख की प्रमाणिकता सिद्ध नहीं कर पाए? ऐसी त्रुटि तो अनेक लोग करते है। तो क्या जिन लोगों ने ऐसी त्रुटि की वे शोधकर्ता नहीं कहलाते है?
आपने आगे कहा है कि वीडियो बोलने में दोष हो सकता है,पर लेखक के पास पर्याप्त समय व परिस्थिति होती है कि वो गलती सुधार सके। कृपया बताइये, महर्षि दयानंद ने 'मनुष्या ऋषयश्चये,ततो मनुष्या अजायन्त।'- यह वचन यजुर्वेद के नाम से दिया है,क्या ये ज्यों-का-त्यों यजुर्वेद में है? नहीं,पर इसका भाव आता है। वाल्मीकि ने रामायण में मनुस्मृति के दो श्लोक रामके मुंह से कहलवाये, क्या वे ज्यों-के-त्यों मनुस्मृति में है? दरअसल वे पाठभेद से आते हैं। क्या वाल्माकि जी वीडियो बना रहे थे या लिखने बैठे? ऐसे ही ऋषि दयानंद ने 'मातृमान पितृमान आचार्यो वेद' आदि वचन शतपथ के नाम पर दिया है,पर ये है शतपथ और छांदोग्योपनिषद दोनों का मिला-जुला रूप। इसी तरह एक उपनिषद का प्रमाण दूसरे उपनिषद के नाम से आया है। वेदव्यास ने महाभारत में मनु के कई श्लोक उद्धृत किये, उनमें से कई जस-के-तस मनु में नहीं मिलेंगे। राहुल जी! ये सब तो लिखने बैठे थे, शोधकर्ता थे, इव लोगों ने क्या किताब सामने रखकर नहीं लिखा था जो एक ग्रंथ का प्रमाण दूसरे से दे दिया और दूसरे ग्रंथ का वचन पूरी तरह नकल न करके मात्र भाव दे दिया? अवश्य ही वे लेखक श्रेष्ठ थे, परंतु ऐसी त्रुटियां मानवमात्र से संभव है। मगर इससे इन विद्वानों की नीयत पर शक नहीं किया जा सकता। उसी प्रकार रजनीश जी तो मात्र ऋषि-अनुयायी है, उनसे भूल हो गई तो कौन सा भूचाल आ गया?
दूसरी बात यह कि यदि रजनीश जी ने जिस पुस्तक का नाम ले कर स्व लेख में प्रमाण प्रस्तुत किया है ,उस पुस्तक में वो प्रमाण नहीं है और यह बात राहुल जी जानते थे। तो स्वयं के वीडियो में राहुल जी ने भी उसी पुस्तक का नाम क्यों लिया उसी प्रमाण के लिए? और लोगों को पढ़ने के लिए क्यों कहा? और अब पता चलने पर उसका प्रतिवाद क्यों कर रहे है? इस आधार पर आपने भी वही दोष किये जो रजनीश बंसल जी ने किये ,तो आपके उक्त हेतु के आधार पर आपके वीडियो की प्रमाणिकता असिद्ध क्यों नहीं मानी जाए? क्यों कि आपने भी उसी पुस्तक को आधार बनाया है जिसका नाम है - The Incorruptibles: A Study of the Incorruption of the Bodies of Various Catholic Saints and Beati . रजनीश बंसल जी ने इस पुस्तक के नाम से हवाला प्रस्तुत करते हुए स्व लेख में लिखा है कि- The sheer stench from decomposing corpses, even when buried deeply, was over overpowering in areas adjacent to the urban cemetery"
रजनीश बंसल जी के लेख-(https://l.facebook.com/l.php?u=https%3A%2F%2Fpakhandkhandni.blogspot.com%2F2015%2F10%2F1_20.html%3Fm%3D1&h=AT1pNQ3_sWzojSONQxUeB4-oL7mcE_Kaylp2F_JloIBiG1b_g3dJTjiSgYfNt6HNq_wFjwti6GQaNJhhWunpJ1R-K36WM9R_7f_XkCXX2iHa3ZDi0G3kh54oW3XRtYfCLRWm8dPPwCY )
अब यही शब्द हूँ ब हूँ आपके वीडियो में भी इसी पुस्तक के हवाले से प्रस्तुत की गई है। तो यह तस्करी नही है तो और क्या है चाऊं चाऊं का मुरब्बा?
पाठकों! उक्त पुस्तक का नाम लेकर मिलन आर्य ने पोस्ट की थी कि राहुल जी ने उक्त पुस्तक को पढ़कर वीडियो बनाई है। पर बाद में गलती पता चलते ही पोस्ट डिलीट कर दी। यह इन लोगों की चोरी पकड़ी गई,ऐसा साफ दिखता है।
यही नहीं, अपने इस लेख में राहुल जी कहते हैं कि उपरोक्त क्वॉट विकीपीडिया का है और अधिक जानकारी के लिये हमने उपरोक्त पुस्तक का नाम दे दिया था। अब इनकी चोरी यहां पकड़ी गई। क्योंकि उक्त पुस्तक में ऐसे विषय का कोई भी लेख विद्यमान नहीं है। जब उस किताब का विषय ही अलग है, तो राहुल जी ने प्रचलित विषय के लिये उसका संदर्भ ही क्यों दिया? रजनीश जी ने जो गलती की,वही राहुल जी ने की और गलती पकड़ी जाने पर लीपापोती करने बैठ गये।
रजनीश जी ने स्व लेख में बताया की शव को गहराई से दफन करने पर क्या- क्या दोष होते हैं,वो लिखते हैं कि- "तीसरा महत्वपूर्ण कारण है की मृत शरीर को दफनाने पर जमीन में अनेक तरह के बेक्टेरिआ और जानलेवा टॉक्सिन्स का निर्माण होने लगता है, अधिकतर पशुओं को जमीन में दफनाने से एक खतरनाक टोक्सिन botulinum टोक्सिन उत्पन्न होता है जो धरती में मौजूद पानी को विषैला करता जाता है जिससे कैंसर और अनेक प्रकार की भयंकर बीमारिया उत्पन्न होती हैं।"
"Decomposition of the human body releases significant pathogenic bacteria, fungi, protozoa, and viruses which can cause disease and illness, and many urban cemeteries were located without consideration for local groundwater. Modern burials in urban cemeteries also release toxic chemicals associated with embalming, such as arsenic, formaldehyde, and mercury. Coffins and burial equipment can also release significant amounts of toxic chemicals such as arsenic (used to preserve coffin woo
d) and formaldehyde (used in varnishes and as a sealant) and toxic metals such as copper, lead, and zinc (from coffin handles and flanges)"
आपने अपने वीडियो में इसके आधार पर यही कहा है और दफनाने पर जिंक, फॉर्मल डीहाईड, फंगी आदि का नाम लिया है। इस से आपकी "तस्करी" वीडियो के दूसरे प्रकरण में भी सिद्ध होती है। रजनीशजी ने स्व लेख में पानी से सम्बंधित जानकारी के विषय में लिखा है कि यह पानी को विषैला करता है,जिस से कैंसर आदि फैलते है।तो आपने भी पानी के जांच की बात कही है और उक्त कोटेशन पूरा का पूरा अपने स्क्रीन पर डाला है(उक्त दोनों स्क्रीन शार्ट हमने पोस्ट के साथ संलग्न कर दी है।) इसी से सिद्ध है कि राहुल जी ने रजनीश जी के 2015 के लेख की तस्करी की है और बिना नाम लिए स्वयं का शोध बताने का प्रयास किया है ,जो की कहीं से भी उचित नहीं है । अब गलती इनको माननी नहीं है, वरना इनकी "सो कॉल्ड रेप्युटेशन" की धज्जियां आसमान में उड़ जायेगी। परंतु इनको पता नहीं है कि जो व्यक्ति जितना विद्वान बनता है, उसमें नम्रता और ऋजुता की भी उतनी अपेक्षा होती है । पर राहुल माराज का अहंकार एवरेस्ट से भी ऊँचा है।
#राहुल_जी_के_कुतर्को_की_समीक्षा-
आगे राहुल आर्य जी लिखते हैं कि- "वैसे मुझे तो इन स्वघोषित लोगों पर दया आ रही है । इन सबके हाथ पैर फूल गए हैं । बुद्धि सुन पड़ गयी है । अन्यथा कोरी नेल्सन को कोरी निकोल्सन नहीं लिखते । एक स्थान पर कोरी निकल्सन लिख रहे हैं । इनके चेलों ने अब भी ध्यान नहीं दिया और कॉमेंट में लग गए वाह जी करने कि आपने तो बहुत अच्छी शोध करके अपने नए प्रमाण दे दिए ।
समीक्षा- भाई तरस तो आपके बुद्धि पर आ रही है कि तस्करी भी की तो कम से कम अक्ल का प्रयोग कर लेते।लेकिन नहीं क्योंकि जिसके अंदर शोध की प्रवृति होती है ,वही कुछ अक्ल भी लगा सकता है।किन्तु यहाँ आप के प्रसंग में उक्त बात का कोई स्थान ही नहीं है।तो अक्ल का प्रयोग तो हो ही नहीं सकता था।अतः तस्करी पकड़ ली गयी, इसी लिए बुद्धि सुन्न आपकी पड़ी हुई है तभी तो इस लेख में भी ढंग से चालाकी नहीं कर पाए आप। भला कोई इन्द्रमणि के समक्ष सियार वृति करे और इन्द्रमणि उसको न जान पाए यह सम्भव हो सकता है? कभी नहीं।
'कोरी नेल्सन' को 'कोरी नेकोल्सन' लिखना वर्तनी त्रुटि है ना कि अन्य कुछ, भला ऐसे ऐसे त्रुटि तो हम अनेक बड़े-बड़े ग्रन्थों में दिखा सकते हैं और यह सभी आर्य प्रकाशन और पौराणिकों के प्रकाशन दोनों में मिलते हैं। ऐसे भयंकर दोष महर्षि दयानंद के सत्यार्थप्रकाश में भी हुये हैं, जिन वर्तनियों और वाक्य-प्रयोगों का आज ठीक कर दिया गया है। महर्षि दयानंद साफ कहते हैं कि उनकी त्रुटि पाई जाये,तो विद्वान लोग उसे सुधार कर लें। पर राहुल जी नाहक अपने आगे 'आर्य' शब्द लगाते हैं, क्योंकि आर्यसमाज के होकर भी न अपनी त्रुटियाँ मानते हैं, न उनको सुधार करते हैं। लगता है अपने आपको ये दयानंद जी का भी दादागुरु मानते होंगे।
तो यह दोष प्रदर्शित करना आपके अहं को प्रदर्शित करता है, अन्य कुछ नहीं । खैर, इन्होंने तो वर्तनी त्रुटि की है किंतु आपने तो अपने वीडियो में बड़े-बड़े झूठ कहे हैं,जैसे कि रामायण के सीरीज वाली वीडियो ही ले लीजिए छांदोग्य के वचन को रामायण का वचन बता दिया।इतना ही नहीं 60 वर्ष में दशरथ ने अन्य पत्नी से विवाह किया -ऐसा मिथ्या प्रलाप किया इस विषय मे विशेष जानने के लिए #कार्तिक_अय्यर जी की पोस्ट द्रष्टव्य है- ( https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=743840586445290&id=100024580670160) ।
भला! आपके जैसे लोग जब ऐसा मिथ्याप्पा फैलाएंगे तो हम लोग चुप थोड़ी रहेंगे।समाज को सत्य बताना आर्य समाज का कार्य है और चूँकी मैं आर्य समाजी हूँ, मैं अपने कर्तव्य कर्म का अनुपालन करता रहूंगा, यदि यह नीचता है तो ऐसी नीचता तो हम एक नहीं , सौ करेंगे।
राहुल जी ने आगे लिखा है की "इनकी सद्बुद्धि बिक चुकी है"
प्रतिउत्तर- सद्बुद्धि हमारी नही आपकी बिकी है अन्यथा अपने वीडियो में तस्करी और इतने बड़े बड़े उक्त (ब्लंडर मिस्टेक्स )गलतियां नही करते।
अतः तस्करी करने वालो को तस्करबाज कहा ही जाएगा जब तक अपने अपराध के लिए क्षमायाचना न करें।
आपके जैसे तस्करों की विशेष आदतें देखकर यजुर्वेद में परमात्मा को भी आप जैसों के आगे नतमस्तक होकर कहना पड़ा- "तस्कराणां पतये नमः-" (तस्करों के सरदार को नमस्कार है!) 😂
# राहुल जी के 'पुष्प'- व्यंग्योक्तियाँ एवं मधुर गालियाँ#
राहुल जी ने इंद्रमणि बोलकर हम लोगों को ' दान चोरी करके हिसाब न देने वाला,यानी लुटेरे" की उपाधि दी। इन्होंने अपने परिवार पर लगे कटाक्षों व गालियों की चर्चा की है। पाठकों! हमें तो ये इनके लेख से पता चला,वरना हमको मालूम ही नहीं है कि राहुल जी के परिवार पर किन्हीं लोगों ने ऐसे दुर्वचन बोले हैं। परंतु मैं, कार्तिक अय्यर जी, रजनीश बंसल जी, नागराज आर्य जी, नटराजजी इसमें शामिल नहीं थे। हम उनके परिजनों पर गालीवर्षा करने की कटु आलोचना करते हैं। हमारा विरोध सीधा सैद्धांतिक है, निजी नहीं।
परंतु राहुल जी के चमचों ने 'एक बाप की औलाद हो तो सामने आओ' जैसे दुर्वचन बोले। रजनीश जी,जिनकी माँ को टायफाइड है, यह जानते हुये भी तुरंत उनको बुलाने पर आमादा थे और उनके न आने पर सोचने लगे कि हम हार गये। अरे, हारते झूठे लोग हैं, सत्य सदा जीतता है। आज हर व्यक्ति जो, रजनीश जी का लेख व राहुल जी का वीडियो देख रहा है,वो साफ कह रहा है कि इन्होंने वीडियो चोरी करके ही बनाया है। यही नहीं, राहुल आर्य जी ने ही मिलन आर्य के नंबर से रजनीश जी से फोन पर १९-२० मिनट बात की।अब रजनीश जी ने राहुल जी से कभी फोन पर बात नहीं की, अतः वो उनको न पहचान सके। पर उसमें भी राहुल जी खुद को 'थर्ड पर्सन यानी अन्य पुरुष' में बुला रहे थे। ये शैली कुरानी अल्लाह की है! यही नहीं, अंत तक नाम भी नहीं बताया इन्होंने, रजनीश जी के पूछने पर भी। साथ में 'हिसाब होगा' 'अलग से होगा' आदि कहकर 'मीठी धमकी' भी दी।
इन्होंने हमको वीर्यहीन कहा। १२ से ३ बजे तक जागने वाले ' 'उल्लू' व 'चोर' कहा। अजी माराज! हम रात को जागकर मौलिक लेखन व स्वाध्याय करते हैं। आपकी तरह दिन में जल्दी जागकर भी दूसरों का लेख कॉपीपेस्ट करके तस्करी नहीं करते। हरेक की अपनी दिनचर्या ,काम, व्यस्तता होती है। हमारे निजी जिंदगी के काम करने थैंक्स भारत वाले थोड़ी न आते हैं। आप कार्तिक अय्यर जी की फेसबुक वॉल पर देखिये, उन्होंने नास्तिकों बड़े-से-बड़े खंडन रात को ही लिखकर डाले हैं। हमारे आपस में 'कचौड़ी' संबंधी व्यंग्य आदि न समझकर उस पर भी आपत्ति करते हैं। माराज! कचौड़ी हम अपने पैसे से खायेंगे-खिलायेंगे, लगे तो आप आ जाइये- आपको भी खिला देंगे।
इनको कुछ नहीं मिला तो रजनीश जी के अन्य पोस्टों के अधूरे कमेंट्स उठाकर उनको गालीबाज बताने लगे। अरे, खुद इनके वीडियोज़ में बाल्टीभर भर के गालियां,अपशब्द, और कटुवचन दिखाये जा सकते हैं। 'हरामखोर' इनकी प्रिय गाली है। 'जाहील कौम' कहना तकियाकलाम है। पर आप कहेंगे कि हम ऐसा विपक्षियों को कहते हैं, तो भाई! रजनीश जी भी वंचकों के लिये ही इनका प्रयोग कर रहे थे। एक भीमसैनिक काली,राम आदि के विरुद्ध प्रलाप कर रहा था, उस पर उन्होंने कहा कि 'सूवर सदा सूवर ही रहेंगे।' क्या गलत है इसमें?
एक दलितवादी ने लिखा था कि 'तुम्हारे राम कृष्ण आदि कितने पढ़े-लिखे थे?' इस पर कहा गया कि- ' आपके ओबीसी ,एससी, एसटी समाज से कोई अब तक सीए बन सका है भला?' यहाँ पर इनके शठे शाठ्यम् समाचरेत् जैसा जवाब दिया गया। राहुल जी खुद ऐसा काम वीडियो में करते हैं, और कोई और लिख दे, तो पिशुनता दिखाते हैं। यदि आपमें सामर्थ्य हो,तो रजनीश जी,मेरे, कार्तिक जी , नटराजजी, नागराज जी के कमेंट्स में कहीं आपके व आपके परिजनों के प्रति गाली कही गई हो,तो बतावें। हमने आपको 'तस्कर' कहा है, और आप तस्कर सिद्ध हो चुके हैं, अतः वो कोई गाली नहीं है। बाकी आपकी तरह हमने 'हरामखोर' , 'वीर्यहीन' 'चोर' 'मदारी' नहीं कहा किसी को।
जब हमने चैलेंज दिया कि राहुल जी की वीडियोज़ की गलतियों का हम खंडन करेंगे,तब इन्होंने इशारों में कहा कि 'ऐसे कोई मदारी आकर सवाल करेगा तो जवाब देते रहेंगे क्या? ' माराज! अब ये 'मदारी' बंदरों' को तिगनी का नाच नचाकर छोड़ेंगे। गलत,टूटी-फूटी, तस्करी की जानकारी देकर दर्शकसंख्या,धन और प्रसिद्धि कमाने वालों की नाक कटना अब जरूरी लग रहा है।
'इंटरनेशनल क्रेमेशन स्टेटिसटिक्स' पर कार्तिक जी ने इन पर आतिश किया था,वो गलत सिद्ध हुआ। कार्तिक जी ने इसकी माफी भी मांग ली,पर हम इनको तस्कर कहने की माफी नहीॉ मांग रहे हैं। दरअसल इनको 'क्रेमेशन रिपोर्ट' किस चिड़िया का नाम है, यह भी रजनीश जी से ही पता लगा होगा! पर २०१८ में भी ये २०१७ की रिपोर्ट न दे सके।
जमीनों में गाड़ने का खर्चा आदि संबंधी जानकारी भी रजनीश जी के लेख जैसी ही है।
पाठक खुद सोचने पर विवश होंगे कि कोई इतनी चीजें मिलाकर कॉपीपेस्ट करता है, और कहता है कि उसके वीडियो ता क्रम लेख से भिन्न है- अतः यह कॉपीपेस्ट नहीं है! जो व्यक्ति लेख कॉपीपेस्ट कर सकता है,वो क्रम भी तो बदल सकता है!
निष्कर्ष- कुल मिलाकर राहुल जी व उनके भक्त विरोधियों को केस की धमकी, फोन पर धमकी, इमोशनल ब्लैकमेल, गालीबाजी , व्यंग्योक्तियों के सिवा कुछ दे न सके। न यह साबित कर सके कि इन्हें लेख नहीं चुराया। कोई भी निष्पक्ष व्यक्ति राहुल जी के वीडियो को देखकर बता सकता है कि यह कॉपी ही है। परंतु इतनी अकड़ है,कि अब तक आभार भी माना , माफी दूर की बात है। कार्तिक जी व रजनीश जी ने दूसरी बात पर माफी मांगी, तस्कर कहने पर नहीं- पर क्या राहुल जी नैतिर साहस दिखाकर अपनी गलती मानेंगे?
राहुल जी के वीडियोज़ की गलतियां लेख व वीडियो के माध्यम से प्रचारित की जायेंगी। किसी थैंक्स भारत के समर्थक में दम हो तो उसका सप्रमाण खंडन करे। अथवा हमारी बात सही लगे,तो राहुल जी को अगले वीडियो में भूल-सुधार करने का आग्रह करे।
आर्यसमाज का नियम है- 'सत्य को अपनाने व असत्य को त्यागने हेतु तत्पर रहना चाहिये।' देखते हैं, राहुल जी व उनके चमचे... मेरा मतलब उनके 'युवा' कब तक इसका पालन करते हैं।
पूरा लेख पढ़ने हेतु धन्यवाद ।
।। ओम् शम् ।।
जो मूर्तिपूजक बाबा रामदेव का भी समर्थन करके वैदिक मूलभूत सिद्धांतों की ही उपेक्षा कर दे, ऐसे राहुल आर्य से सत्य पथ पर पूर्णतः चलने की आशा नहीं की जा सकती।